Skip to main content

अब आपको हमेशा की तरह राग के शास्त्रीय पक्ष के बारे में बताते हैं। राग कलावती खमाज थाट

का राग है। इस राग में ‘ग’ वादी और ‘ध’ संवादी स्वर हैं। इस राग में ‘रे’ और ‘म’ नहीं लगता है इसलिए इस राग की जाति औडव-औडव है। राग कलावती को गाने बजाने का समय रात का दूसरा पहर है। आइए इस राग का आरोह अवरोह एवं मुख्य स्वर समूह को जान लेते हैं।

आरोहसा, , , , नी, , सां

अवरोहसां, नी, ध प, , सा

मुख्य स्वरग प ध नी ध प ग सा

इस राग से जुड़ा एक और दिलचस्प प्रयोग जाने माने गायक सुरेश वाडेकर ने किया था। उन्होंने राग कलावती को आधार बनाकर हनुमान चालीसा गाई थी। शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के बीच श्रीमती प्रभा अत्रे की गाई एकताल में कलावती की एक बंदिश बहुत मशहूर है- तन मन धन तोपे वारूं।  क़व्वाली के उस्ताद नुसरत फतेह अली खान भी ‘तन-मन-धन’ कंपोजीशन अपने अंदाज़ में गाते थे।

Leave a Reply