Skip to main content

राग खम्बावती के शास्त्रीय पक्ष के बारे में बताते हैं। राग खम्बावती खमाज थाट का राग है। इस राग की जाति संपूर्ण षाढव है। इस राग में वादी स्वर ‘म’ और संवादी संवर ‘स’ है। वादी और संवादी स्वर के बारे में हम आपको बताते आए हैं जैसे शतरंज के खेल में बादशाह और वजीर सबसे अहमियत रखते हैं वैसे ही किसी भी राग में वादी और संवादी स्वर का महत्व सबसे ज्यादा होता है। राग खम्बावती को गाने बजाने का समय रात का पहला प्रहर है। इस राग में ‘नी’ को छोड़कर बाकी सभी स्वर शुद्ध इस्तेमाल किए जाते हैं। ‘नी’ कोमल लगता है। इस राग में ज्यादातर ठुमरी और ख्याल गायकी होती है। ख्याल गायकी में ज्यादातर मौकों पर छोटा ख्याल राग खम्बावती में गाया जाता है। इस राग में विलंबित ख्याल कम ही सुना जाता है। शास्त्रीय राग मांड, खमाज और सिंदूरा भी इस राग से मिलते जुलते राग हैं। आइए आपको राग खम्बावती का आरोह अवरोह और पकड़ बताते हैं।

आरोहसा, रे म प ध नी S ध सां

अवरोहरे सां नी ध प, ध म प ग म सा

पकड़रे म प ध सां, नी ध प, ध म प ग म सा

शास्त्रीय रागों की कहानियों पर आधारित इस सीरीज में हम हमेशा किस्से कहानियों के साथ साथ राग की शास्त्रीयता पर बातचीत करते हैं। राग खम्बावती के दो वीडियो बहुत देखे जाते हैं। पहला भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज कलाकार भारत रत्न से सम्मानित किराना घराने के पंडित भीमसेन जोशी और दूसरा किशोरी ताई यानि पद्मविभूषण से सम्मानित किशोरी अमोनकर का है।

Leave a Reply