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साल 1991 की बात है। जाने माने फिल्मकार गुलजार साहब एक फिल्म बनाना चाहते थे। फिल्म का नाम था- लेकिन। ये फिल्म रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी पर आधारित थी। फिल्म में विनोद खन्ना, डिंपल कपाड़िया, अमजद खान और आलोक नाथ जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था। इस फिल्म को दो बहुत ही खास लोगों ने प्रोड्यूस किया था। वो दो खास लोग थे- लता मंगेशकर और उनके भाई ह्दयनाथ मंगेशकर। गुलजार साहब दरअसल लता जी के पसंदीदा गीतकारों में रहे हैं। बहुत कम ही लोग जानते हैं कि बतौर गीतकार गुलजार साहब का लिखा पहला गाना ‘मोरा गोरा अंग लई ले’ लता जी ने ही गाया था। ऐसे में इन दोनों के बीच एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना रही है। ह्दयनाथ जी ने फिल्म लेकिन के संगीत को शास्त्रीय संगीत की जमीन पर तैयार किया था। जिसके लिए गुलजार साहब ने बड़े ही खूबसूरत गीत लिखे थे। इस राग की कहानी जिस गाने से जुड़ी है वो गाना याद कीजिए- जा जा रे, ऐ पथिकवा। इस गाने को ह्दयनाथ मंगेशकर ने शास्त्रीय राग गुर्जरी तोड़ी की जमीन पर तैयार किया था। जिसे बहुत सराहा गया था। इसके अलावा भी फिल्म के तमाम गाने बड़े सराहे गए थे। 1991 में इस फिल्म ने पुरस्कारों की झड़ी लगा दी थी। 1991 में ‘यारा सीली सीली’ के सर्वश्रेष्ठ फीमेल प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय अवॉर्ड लता जी को दिया गया था। इसी गाने के लिए बतौर गीतकार गुलजार ने राष्ट्रीय अवॉर्ड और फिल्मफेयर अवॉर्ड दोनों जीता। फिल्म के संगीत के लिए ह्दयनाथ मंगेशकर को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का राष्ट्रीय अवॉर्ड मिला था। इसके अलावा सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन और सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन का राष्ट्रीय अवॉर्ड भी उस साल इसी फिल्म की यूनिट को मिला था।

खैर, वापस लौटते हैं अपने राग गुर्जरी तोड़ी पर। इसी राग की जमीन पर 1963 में रिलीज हुई फिल्म फूल बने अंगारे का वो गाना भी तैयार किया गया था। जिसे आज भी आजादी के प्रेरणादायी गानों में शुमार किया जाता है। गाने के बोल थे- वतन पर जो फिदा होगा अमर वो नौजवान होगा। ये फिल्म सूरज प्रकाश ने डायरेक्ट की थी। जिन्होंने बाद में जब जब फूल खिले, जज्बात और आमने सामने जैसी हिट फिल्में भी बनाईं। इस गाने को मोहम्मद रफी ने गाया था। संगीतकार थे कल्याण जी आनंद जी और गीतकार थे आनंद बक्षी। इन गानों के अलावा राग गुर्जरी तोड़ी का इस्तेमाल नए दौर के संगीतकार एआर रहमान ने 2009 में रिलीज फिल्म दिल्ली-6 में किया। हालांकि ये बंदिश असल में उस्ताद बड़े गुलाम अली खान का गाई हुई है। लेकिन फिल्म में उनके गाई बंदिश के साथ साथ श्रेया घोषाल ने भी उसे गाया है। जिसे सोनम कपूर पर फिल्माया गया था। जो एक रियलिटी सिंगिग शो में इसे गाती हैं। बतौर जज अनु मलिक और जावेद अख्तर को दिखाया गया है। जिसके बोल थे भोर भई तोरी बाट तकत पिया। राग गुर्जरी तोड़ी की जमीन पर तैयार किए गए फिल्मी गानों में 1968 में रिलीज फिल्म आशीर्वाद का एक गाना काफी लोकप्रिय हुआ था। गुलजार साहब के लिखे उस गीत को लता मंगेशकर ने गाया था। बोल थे- इक था बचपन। फिल्म आशीर्वाद की लोकप्रियता में उस गाने का भी बड़ा रोल था जो अशोक कुमार ने गाया था- रेलगाड़ी रेलगाड़ी छुकछुक छुकछुक। उस दौर में फिल्मी गाने में ये अपने आप में नए तरह का प्रयोग था। गुर्जरी तोड़ी की कैफियत ऐसी है कि इसमें दर्द और भक्ति के रंग खूब निखरते हैं। मुकेश का गाया मैं तो एक ख्वाब हूं इस ख्वाब से तू प्यार ना कर और अनूप जलोटा का मशहूर भजन वो काला एक बांसुरी वाला भी  गुर्जरी तोड़ी पर आधारित है।

आइए अब आपको राग गुर्जरी तोड़ी के शास्त्रीय पक्ष के बारे में बताते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस राग की शुरूआत गुजरात में हुई थी इसीलिए इसका नाम गुर्जरी तोड़ी पड़ गया। एक और प्रचलित कहानी ये है कि ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर की गूजरी रानी मृगनयनी ने इस राग को बनाया था इसलिए इसका नाम गुर्जरी तोड़ी पड़ा। ये राग तोड़ी थाट का राग है। राग गुर्जरी तोड़ी में र, ग, ध कोमल और म स्वर तीव्र लगता है। इस राग में प नहीं लगता है। इसलिए इस राग की जाति षाडव है। राग गुर्जरी तोड़ी का वादी स्वर ध और संवादी स्वर रे होता है। हम पहले भी बताते रहे हैं कि किसी भी राग में वादी संवादी स्वर बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ठीक उसी तरह जैसे शतरंज के खेल में बादशाह और वजीर। इसे गाने बजाने का समय दिन का दूसरा प्रहर है। राग गुर्जरी तोड़ी गंभीर किस्म का राग है।

इस राग को बेहद पुराना राग माना जाता है। राग गुर्जरी तोड़ी, मियां की तोड़ी और बहादुरी तोड़ी के करीब का राग है। इस राग का आरोह अवरोह भी जान लेते हैं।

आरोह- सा रे गा म (तीव्र) , नी सां

अवरोह- सा नी म (तीव्र) म (तीव्र) रे रे सा

पकड़- नी म (तीव्र) रे रे सा

अब हमेशा की तरह राग गुर्जरी तोड़ी की शास्त्रीय प्रस्तुति की समझ के लिए हम आपको कुछ वीडियो बताते हैं जिन्हें आप इंटरनेट पर देख सकते हैं। मेवाती घराने के वरिष्ठतम कलाकार पंडित जसराज जी, जयपुर अतरौली घराने की बेहद सम्मानीय कलाकार अश्विनी भीड़े देशपांडे और भारत रत्न से सम्मानित शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का राग गुर्जरी तोड़ी बहुत सुना और देखा जाता है।

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