आप स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी की कितनी बड़ी फैन हैं?
9 अक्टूबर 1996, ये तारीख मेरी जिंदगी में बहुत अहम है। इसी दिन मैं टीवी शो मेरी आवाज सुनो के फाइनल में हिस्सा लेने के लिए गई थी। हालांकि दिलचस्प किस्सा ये है कि मुझे उस ‘कॉम्पटीशन’ का हिस्सा नहीं होना था। मैंने दिल्ली में भी कभी किसी ‘कॉम्पटीशन’ में हिस्सा नहीं लिया था। मैं बॉम्बे आ चुकी थी। एक फिल्म में गा भी चुकी थी। वो गाना मैंने आदेश श्रीवास्तव जी के लिए गाया था। जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। तब मेरी उम्र 11 साल थी और मैंने अपने करियर का पहला ‘प्लेबैक’ कर लिया था। लेकिन उस ‘कॉम्पटीशन’ में हिस्सा लेने का एक खास मकसद था। हुआ यूं कि मैंने एक रोज कहीं ये खबर पढ़ी कि टीवी पर एक शो आने वाला है जिसकी लता जी जज होंगी। जो उस शो में जीत जाएगा उसे लता जी के हाथों से ट्रॉफी मिलेगी। पापा को ये बात पता थी कि मैं लता जी की कितनी बड़ी ‘फैन’ हूं। हम दोनों को ही लगा कि यही एक मौका है जहां लता जी से मुलाकात हो सकती है। उससे पहले हमने कभी सोचा तक नहीं था कि लता जी से मिलने का मौका मिल सकता है। कभी इतना तक नहीं सोचा था कि उन्हें देख पाने का मौका मिलेगा। बस मन में इतना ख्याल आया कि इस ‘कॉम्पटीशन’ में हिस्सा लेते हैं। अगर आखिरी दौर तक भी पहुंच गए तो लता जी को देखने का मौका मिल जाएगा।
पहली बार आपकी मुलाकात लता मंगेशकर जी से कैसे हुई?
मैं ‘मेरी आवाज सुनो’ में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थी। उस वक्त मेरी उम्र 12-13 साल की थी जबकि मेरे अलावा जितने भी लोगों ने उस कॉम्पटीशन में हिस्सा लिया था सभी 20 साल के ऊपर के ही थे। मुझे याद है कि उस कॉम्पटीशन के लिए कम से कम उम्र 16 साल रखी गई थी लेकिन ऑडिशन में उन लोगों को मेरा गाना पसंद आया और मुझे कम उम्र का होने के बाद भी चुन लिया गया। इसके बाद कॉम्पटीशन शुरू हुआ। मैं एक एक ‘राउंड क्लीयर’ करती चली गई। लेकिन मन में सपना बस वही था कि लता जी के दर्शन हो जाएं। आखिरकार वो दिन भी आया जब मैं मेगा फाइनल में पहुंच गई। मेरे साथ पापा, मम्मी सब लोग गए थे। मुझे उस रोज कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अगर मैंने लता जी को देखा तो क्या होगा। मैं उनके सामने खड़ी रह पाऊंगी भी या नहीं? मन में ऐसे ऐसे ख्याल तक आ रहे थे कि कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि मैं उन्हें देखकर गिर जाऊं। इसके अलावा कुछ भी दिमाग में नहीं था। मुझे इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि बाकि के प्रतिभागी उम्र में मुझसे काफी बड़े हैं या उन लोगों ने इस कॉम्पटीशन में आने से पहले बाकयदा संगीत की ट्रेनिंग ली है। मैं सिर्फ लता जी के बारे में सोच रही थी। फिर वो लम्हा आया जब मुझे लता जी के दर्शन हुए। मैंने उनके सामने गाना गाया।
जब लता जी से आपको ट्रॉफी मिलने वाली थी तब आपके दिमाग में क्या चल रहा था?
मैंने उस दिन फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ का तू चंदा मैं चांदनी गाना गाया था। वो गाना लता जी का ही गाया हुआ था। वो गाना मेरे लिए मुश्किल था लेकिन दिमाग ये बात थी कि मुझे मुश्किल गाने को ही अच्छी तरह गाना है। उस गाने को चुनने में भी पूरा ‘टीम एफर्ट’ था। मेरे अलावा उस शो के लोगों ने, पापा मम्मी ने सभी ने मिलकर उस गाने को फाइनल किया था। दरअसल देखा जाए तो पूरे ‘कॉम्पटीशन’ के दौरान गाने के ‘सेलेक्शन’ को लेकर मैंने कभी बहुत ज्यादा नहीं सोचा। मुझे जो गाना अच्छा लगता था मैं वो गाना गाती थी। लिहाजा उस रोज भी मैंने वो गाना गाया। मुझे वो लम्हा अभी तक अच्छी तरह याद है जब थोड़ी देर बाद रिजल्ट ‘अनाउंस’ हुआ और मेरा नाम पुकारा गया। मैं कॉम्पटीशन जीत गई थी। लेकिन सच कहूं तो उस कॉम्पटीशन को जीतने से भी कहीं ज्यादा खुशी इस बात की थी कि मैं लता जी को 5-6 इंच की दूरी से देख पाई। उन्होंने बहुत प्यार से मुझे ट्रॉफी दी।
लता जी से मिलने के बाद आपको कैसा महसूस हुआ?
मैं बता ही नहीं सकती कि उस वक्त की ‘फीलिंग’ क्या थी। एक अनोखी सी ही फीलिंग थी। ये ‘रियलाइज’ करने में वक्त लग गया कि अभी थोड़ी देर पहले क्या हुआ है। बहुत चाहते हुए भी मैं खुद को रोक नहीं पाई और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे। इसके बाद जब उस रोज मैं घर पहुंची तब कहीं जाकर ये अहसास कर पाई कि हुआ क्या है। तब जाकर यकीन हुआ मैं ‘द लता मंगेशकर’ के सामने जीत कर आई हूं। उन्होंने ही मुझे ट्रॉफी दी है। उन्होंने मुझे छुआ है और प्यार किया है। इस जीत के बाद हम लोग घर पहुंचे। वहां जाकर भी हम यही ‘डिस्कस’ करते रहे कि अब आगे और अच्छा गाना है। फिर ये भी याद किया कि पूरे ‘कॉम्पटीशन’ में मैंने कौन कौन से गाने गाए। पापा ने अपने बहुत सारे दोस्तों को बताया कि मैंने मेरी आवाज सुनो जीत लिया है। उस रोज हम सभी ने अच्छा खाना खाया। फिर हर रोज की तरह सो गए। अगली सुबह मेरे लिए बिल्कुल एक ‘नॉर्मल’ सुबह थी। ये पता था कि बीते कल यानि कुछ घंटे पहले जो हुआ है वो बहुत खास है, बहुत बड़ा है लेकिन बीते दिन में तो रह नहीं सकते इसलिए तुरंत आगे की तैयारी शुरू कर दी कि अब और अच्छा गाना है। हां, इस बात की खुशी बहुत दिनों तक थी कि मैंने लता जी को देखा। मैंने ‘कॉम्पटीशन’ जीता। लेकिन ये ख्याल हमेशा बना रहा कि अभी बहुत मेहनत करनी है।