12 साल की उम्र में आप मुंबई आ गयी थी लेकिन उससे पहले आपका बचपन दिल्ली में बीता है, उसकी कुछ खास बातें जो आपको आज भी बहुत याद आती हैं
मैं दिल्ली को बहुत ‘मिस’ करती हूं। खास तौर पर दिल्ली का खाना। छोले भटूरे बहुत ‘मिस’ करती हूं। मेरे स्कूल के बाहर साइकिल पर एक छोले वाला आता था उसके छोले तो बहुत ‘मिस’ करती हूं। पापा बचपन में अप्पू घर ले जाते थे। वहां की यादें बहुत खूबसूरत हैं जो अब भी याद आती हैं। 12 बरस तक की जिंदगी मैंने दिल्ली में ही बिताई है। दिल्ली के घर में मेरा बचपन बीता है। वो घर मुझे अब भी याद आता है। मुंबई मेरी कर्मभूमि है। बारह साल की उम्र में जब मैं यहां आई थी तब से लेकर अब तक लगातार काम कर रही हूं। मुंबई शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया है। आज मेरा जो नाम है वो मुंबई शहर की वजह से, यहां काम करने की वजह से हुआ है। मुंबई और दिल्ली दोनों ही शहरों का अलग अलग ‘चार्म’ है। दोनों से ही मैं ‘इमोशनली’ जुड़ी हुई हूं। मेरा सफर आज आगे निकल चुका है। आज मैं तमाम सिंगिंग कॉम्पटीशन को जज करने जाती हूं। मैं देखती हूं कि सभी गायकों में कुछ ‘पॉजिटिव’ और कुछ ‘निगेटिव’ है। मैं हमेशा उन कलाकारों को यही समझाती हूं कि उनमें जो निगेटिव है उसे सुधार कर वो आगे बढ़ सकते हैं। जिन गायकों में जो ‘पॉजिटिव’ है उसे वो और ‘पॉलिश’ कर सकते हैं। ऐसे कॉम्पटीशन में मैं जिन कलाकारों को पसंद करती हूं उन्हें तो हिंदुस्तान देख ही लेता है। जो कलाकार थोड़े ‘एवरेज’ हैं उन्हें भी मैं यही सुझाव देती हूं कि वो मेहनत करें। वैसे भी मैं अब भी खुद को एक ‘जेनरेशन’ ही मानती हूं। अपनी गायकी पर खूब मेहनत करना चाहती हूं। इस बात पर मेरा ध्यान बिल्कुल नहीं होता कि कौन क्या कर रहा है। क्या गा रहा है। मैं अपने ‘कन्टेंपरेरी’ गायिकाओं को सुनती हूं। पसंद भी करती हूं। मुझे हर्षदीप, श्रेया घोषाल, नीति मोहन, महालक्ष्मी अय्यर को सुनना अच्छा लगता है। इन सभी में अलग अलग खूबियां हैं। मैं इन सभी को अक्सर सुनती हूं। मेरी खुशकिस्मती है कि मैंने आशा जी के साथ भी ऐसे कार्यक्रमों को जज किया है। उनके साथ बैठने का मौका मिला है। उन्हें समझने का मौका मिला है। वो किसी नए कलाकार के गाने को जिस तरह सुनती हैं वो भी सीखने के लायक है।
आप डेस्टनी पर कितना भरोसा करती हैं और टेलेंट के बारे में क्या मानती हैं
आज जब मैं अपने पूरे सफर को याद करती हूं तो सिर्फ इतना याद आता है कि मैं लता जी से पागलपन की हद तक प्यार करती थी। यहां तक कि ‘मेरी आवाज सुनो’ जीतने के बाद उनका आशीर्वाद पाने के बाद भी उनका ‘क्रेज’ जैसे का तैसा बना रहा। मुझे याद है कि उस ‘कॉम्पटीशन’ को जीतने के काफी समय बाद मैं लता जी से दोबारा एक स्टूडियो में मिली थी। उस मुलाकात में भी मेरे होश उड़े हुए थे। उन सभी लोगों के आशीर्वाद से मुझे कामयाबी मिली। हिंदी के अलावा मैंने पंजाबी में गाने गाए, कई और भाषाओं में गाने गाए जिन्हें लोगों ने बहुत पसंद किया। मैं अंग्रेजी में भी खूब गाने गाना चाहती हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस मुकाम तक पहुंचुगी जहां मैं आज हूं। दरअसल मैं ‘डेस्टनी’ और ‘टेलेंट’ दोनों में भरोसा करती हूं। ‘डेस्टनी’ आपको एक बड़ा मौका मिला दिला सकती हूं लेकिन कहीं भी टिके रहने के लिए ‘टेलेंट’ जरूरी है। अब मैं जिंदगी में आगे देखना पसंद करती हूं। व्यक्तिगत रिश्तों में भी मेरी सोच यही है कि मैं आगे देखना पसंद करती हूं।
आप प्लेबैक सिंगर हैं तो ऐसे में जब आप कोई गाना रिकॉर्ड करती हैं तो क्या मानती हैं कि आप जिस एक्टर के लिए गाना गा रही हैं उसके बारे में आपको पता होना जरूरी है या नहींं?
लोग कहते हैं कि आज की तारीख में ‘प्लेबैक सिंगिग’ में बहुत तकनीक आ गई है। लेकिन मेरा मानना है कि गायकी में इन सारी तकनीकों का इस्तेमाल उसके लिए है जो गायक नहीं है। जो गायक हैं उनके लिए आज भी हर गाना मुश्किल होता है। पहले के मुकाबले एक बदलाव ये भी है कि अब गायकों को तैयारी के लिए समय कम मिलता है। पहले के जमाने में एक गाने को तैयार करने के लिए आठ नौ दिन का समय मिल जाता था। आजकल तो स्टूडियो पहुंचिए गाने को सुनिए, उसको समझिए और अगले 15 मिनट में आप माइक के सामने होते हैं। मैं कोई तुलना नहीं कर रही हूं लेकिन इसीलिए मैं कहती हूं कि गायकों को लिए गाने गाना आज भी मुश्किल है। मैं एक और ‘एग्जापिल’ देती हूं। मैं गाना गा रही थी ‘कैसी पहेली है ये कैसी पहेली जिंदगानी’। जब ये गाना रिकॉर्ड हुआ तो मुझे लगा कि फिल्म में ये गाना राइमा सेन जी पर फिल्माया जाएगा। बाद में पता चला कि ये गाना रेखा जी पर फिल्माया गया। खूबसूरती बल्कि यूं कहें कि रेखा जी का कमाल है कि उन्होंने मेरी आवाज को अपना लिया। इसका श्रेय उन्हें ही जाता है। कहने का मतलब ये है कि आज ज्यादातर मौकों पर तो ये तक नहीं पता होता है कि आप जो गाना गा रहे हैं वो किस पर फिल्माया जाएगा।
क्या आज भी आप जब कोई नया गाना रिकॉर्ड करती हैं तो आपको डर लगता है?
मुझे आज फिल्म इंडस्ट्री में लगभग दो दशक का समय हो गया है। मैं अब भी हर गाने को एक जिम्मेदारी की तरह देखती हूं। मुझे हर गाना ‘टफ’ लगता है, ‘चैलेंजिंग’ लगता है। मेरी कोशिश बस ये रहती है कि हर गाने में कुछ ऐसा करूं जो पिछले गाने से अलग हो, नया हो। हर बार जब मैं माइक के सामने जाती हूं तो ये भूल कर जाती हूं कि मैंने तमाम फिल्मों के लिए गाने गाए हैं, मैंने तमाम हिट गाने गाए हैं। एक चहारदीवारी के भीतर माइक के सामने आने के बाद जब मैं गाना गाती हूं तो बस दिल से गाती हूं। शायद यही वजह है कि मेरी गायकी लोगों के दिलों तक पहुंचती है। 15-16 साल की लडकियां मुझे गले लगाती हैं तो उनकी आंखों में आंसू होते हैं क्योंकि मेरी गायकी उनके दिल तक पहुंचती है। मेरे एक ‘फैन’ तो ऐसे हैं जिन्होंने अपनी बाजुओं पर मेरी तस्वीर का ‘टैटू’ बनवाया है। उन्होंने वो तस्वीर भी मुझे भेजी थी। मुझे सिर्फ इतना लगता है कि मैंने अपनी गायकी में कुछ तो अच्छा किया होगा जो लोग मुझे इतना प्यार करते हैं।