उस घर में जन्म लेनेवाला बच्चा कैसा होता है जिस घर में कई पीढ़ियों से संगीत की स्वर लहरियां गूंज रही हों. उस परिवार में बच्चा कैसे बड़ा होता है जहां पिता देश के चोटी के शास्त्रीय गायक हों और मां संगीत की समर्पित साधिका. आप खुद देखिए, किस तरह पिता ने अपनी नन्ही सी बिटिया को तैयार कराया है. पिता स्वरों को आकार में बोलते हैं, बिटिया सरगम में दोहरा देती है. पिता अलंकारों का पेचीदा पैटर्न शुरू करते हैं, बिटिया उसे पूरा कर देती है. पिता राग के टुकड़े गाते हैं, हारमोनियम पर कुछ बजाते हैं, बिटिया आराम से सबकी सरगम बोल देती है.
ये वीडियो करीब तीस साल पुराना है. वीडियो में दिख रही बच्ची है कौशिकी चक्रवर्ती जो आज देश की जानी-मानी शास्त्रीय गायिका बन चुकी हैं.
कौशिकी चक्रवर्ती का जन्म 1980 में कोलकाता में एक संगीतमय परिवार में हुआ. पिता अजय चक्रवर्ती पटियाला घराने के दिग्गज गायक और मां चंदना चक्रवर्ती भी पटियाला घराने की ही गायिका. घर के पूरे माहौल में संगीत इस कदर रचा-बसा था कि संगीत को छोड़कर बड़ा होना मुमकिन ही नहीं था. कौशिकी ने बोलने के साथ-साथ ही गाना भी सीखा. सुरीली लोरी सुनाने से लेकर संगीत के सुरों से परिचय कराने का काम मां चंदना चक्रवर्ती ने किया. इसके बाद पिता की देखरेख में कड़े अनुशासन के साथ कौशिकी की विधिवत ट्रेनिंग शुरू हुई. कौशिकी के शब्दों में कहें तो- बेटी की तरह पैदा हुई, शिष्या की तरह बड़ी हुई.
16 साल की उम्र में दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में कौशिकी का पहला बड़ा कॉन्सर्ट हुआ. सुननेवालों में उस्ताद अल्ला रक्खा खान, जाकिर हुसैन, सुल्तान खान, अमजद अली खान जैसे दिग्गज संगीतकार मौजूद थे. कौशिकी को सुनकर सबने यही कहा कि संगीत जगत में एक नए सितारे का उदय हो चुका है. कौशिकी बताती हैं कि उस्ताद अमजद अली खान से उन्हें बतौर आशीर्वाद कुछ पैसे दिए थे, वो भी किसी से उधार लेकर.
पिता से गायकी के गुर सीखने के साथ ही कौशिकी आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी से भी जुड़ीं. 2004 तक कौशिकी आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी की स्कॉलर रहीं और ए-टॉप ग्रेड के साथ वहां से पास हुईं. 2004 में ही प्रतिभाशाली गायक पार्थसारथी देसिकन के साथ कौशिकी की शादी हुई. दोनों का एक बेटा भी है.
कौशिकी चक्रवर्ती की गायकी में उनके पिता अजय चक्रवर्ती की गायकी की झलक साफ दिखाई पड़ती है. पटियाला घराने की परंपरा को कौशिकी बहुत ही खूबसूरती के साथ आगे बढ़ा रही हैं. कौशिकी से आप खयाल, तराना, ठुमरी, दादरा, कजरी चैती, भजन कुछ भी सुन लीजिए, वही आनंद मिलेगा. हालांकि खुद कौशिकी को सबसे अच्छा लगता है ठुमरी गाना. कौशिकी बताती हैं कि बचपन से ही उन्हें ठुमरी के रंग बहुत भाते हैं
कौशिकी डोवरलेन म्यूजिक कॉन्फ्रेंस, आईटीसी संगीत सम्मेलन, स्प्रिंग फेस्टिवल ऑफ म्यूजिक, सवाई गंधर्व भीमसेन संगीत महोत्सव जैसे देश-विदेश के अनगिनत संगीत समारोहों का हिस्सा रह चुकी हैं. कोक स्टूडियो प्रोजेक्ट में भी कौशिकी ने कुछ गाने गाए हैं जो बेहद लोकप्रिय हैं
2005 में कौशिकी को उनके अलबम प्योर के लिए बीबीसी वर्ल्ड म्यूजिक अवॉर्ड से नवाजा गया. साल 2012 में हुए मिर्ची म्यूजिक अवॉर्ड् में कौशिकी के अलबम यात्रा को अलबम ऑफ द ईयर चुना गया और कौशिकी को बेस्ट फीमेल वोकलिस्ट का अवॉर्ड मिला. 2012 में ही उन्हें GIMA अवॉर्ड भी मिला.
कौशिकी के पिता पंडित अजय चक्रवर्ती वैसे तो पटियाला घराने से आते हैं लेकिन उन्हें दिल्ली, जयपुर, आगरा और किराना घरानों की खासियतों पर भी महारत हासिल है. इतना ही नहीं, पंडित बालमुरली कृष्णा से उन्होंने कर्नाटक संगीत भी सीखा है. पिता के आशीर्वाद से ऐसी ही बहुमुखी प्रतिभा कौशिकी को भी मिली है
हाल ही कौशिकी अपनी फेमिनिस्ट बैंड सखी को लेकर खबरों में थीं. ये छह महिलाओं का बैंड है जो बकौल कौशिकी स्त्रीत्व का उत्सव मनाने के लिए बनाया गया है. इस बैंड में कल, इंस्ट्रुमेंटल, परकशन और डांस सबकी माहिर कलाकार हैं. ये सारी महिलाएं जाने-माने संगीत परिवारों से आती हैं
सखी को देश का पहला ऑल वुमन बैंड कहा गया लेकिन यहां बताते चलें कि नब्बे के दशक में उस्ताद अल्लाह रक्खा की शिष्या और मशहूर महिला तबला वादक अनुराधा पाल ने स्त्री शक्ति नाम से एक ग्रुप बनाया था जिसमें सभी महिलाएं हैं
अपने पिता की तरह की कौशिकी संगीत के प्रचार प्रसार के लिए भी काफी काम कर रही हैं. कौशिकी ने Soul, Voice, Aspiration (SVA) नाम से एक ट्रस्ट भी बनाया है जिसका काम है संगीत की उभरती प्रतिभाओं को तलाशना और तराशना. उन्होंने कई हिंदी और बांग्ला फिल्मों में रागप्रधान गीत गाए हैं. बांग्ला चैनलों पर टॉक शोज़ होस्ट करती हैं. कौशिकी की उपलब्धियों का शानदार सफर जारी है.