फिल्मी गाने गाने का सपना लेकर बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद अलका यागनिक ने कई सुपरहिट गाने गाए और उन्हें कई बड़े अवार्ड्स भी मिले लेकिन उनके पहले सुपरहिट गाने से लेकर मोस्ट पॉपुलर सुपरहिट गाने और अवार्ड्स के बारे में हमने उनसे खास बात की।
फिल्म खलनायक का सबसे कॉन्ट्रोवर्शियल और सुपरहिट गाना ‘चोली के पीछे क्या है’ गाना गाने के लिए आपने क्या सोचकर हां कहा?
1993 के आस पास की बात है। सुभाष घई की फिल्म आई थी- खलनायक। उस फिल्म के एक गाने को लेकर काफी विवाद हुआ। उस गाने की कहानी दिलचस्प है। दरअसल, मुझे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी के साथ काफी काम करने का सौभाग्य हुआ है। उन्हीं की तरफ से मुझे ये गाना ऑफर किया गया था। मुझे जब भी उनके साथ काम करने का मौका मिलता था मै बहुत खुश होती थी। मैं रिहर्सल के लिए गई और जब मैंने वो गाना सुना तो पहले इला दी की लाइन आती हैं और फिर मेरी लाइन आती है। मुझे मेरी लाइन गाने के लिए दी गई थी। गाने में जो मेरी लाइन थी वो थी चोली में दिल है मेरा, चुनरी में दिल है मेरा, ये दिल मैं दूंगी मेरे यार को, प्यार को। चोली के पीछे क्या है, ये मेरी लाइन नहीं थी। ये इला जी की लाइन थी। सच्चाई ये है कि गाने के लिए हां करते समय मैंने वो लाइन सुनी ही नहीं थी पहले वाली। वो तो जब हम फाइनल रिकॉर्डिंग में गए तब मैंने सुना कि ये लाइन क्या है। मुझे उसी वक्त लग गया कि ये तो थोड़ा सा ‘नॉटी’ गाना है। लेकिन तब तक सब तय हो गया था। इसके अलावा जिस फिल्म में ये गाना आ रहा था और जो लोग इस गाने को ‘हैंडल’ कर रहे थे, मतलब लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का म्यूजिक, आनंद बक्षी के लिरिक्स, सुभाष घई की फिल्म, माधुरी दीक्षित पर फिल्माया जाने वाला गाना। यानी जिन सब लोगों के हाथ में ये गाना था वो सब के सब ‘रिस्पॉन्सिबल’ लोग थे। काबिल लोग थे और अपनी-अपनी जगह पर सब बड़ी ऊंची हस्ती थे। इसलिए मुझे इस बात का भरोसा था कि फिल्म में ‘एस्थेटिकली’ गाने को बहुत अच्छे से ट्रीट किया जाएगा। ये संभव ही नहीं है कि वो लोग गाने को ‘चीप’ तरीके से ‘ट्रीट’ करेंगे। क्योंकि ये सारे दिग्गज लोग हैं। मैं आज भी कहती हूं कि वो गाना निश्चित तौर पर थोड़ा शरारती था लेकिन गाना बहुत प्यारा था। हां, लेकिन इस गाने को लेकर छोटी सी बात पर बतंगड़ बनाया गया। जितना हल्ला मचाया गया उतना कुछ उस गाने में नहीं था। गाना जबरदस्त हिट हुआ। हां, लेकिन मैं ये मानती हूं कि इस गाने के बाद इसके ट्रेंड को फॉलो करते हुए कुछ गाने ऐसे भी बने जो ज्यादा अश्लील हो गए। चोली तो ‘माइल्ड’ किस्म का शब्द था उसके बाद कई गाने ऐसे आए जिनके लिरिक्स काफी अश्लील थे।
आपको जिस गाने से पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला उसके बारे में जानना चाहेंगे क्योंकि वो गाना और वो अवार्ड दोनों ही आपके लिए बेहद खास हैं
इन्हीं सब के दौरान एक और गाना मैंने गाया था। जिसके बोल थे- ‘एक दो तीन’। इस गाने के बनने की कहानी भी दिलचस्प है। जब मैंने पहली बार ये गाना सुना तो मुझे लगा कि ये है क्या, गिनती है या गाना है। लेकिन जब मैंने पूरा गाना सुना। लिरिक्स जैसे जैसे लिखे गए थे। तेरह के आगे बढ़ा चौदह को ये हुआ, पंद्रह को वो हुआ…अंतरे कमाल के लिखे थे। जावेद अख्तर ने बहुत ही खूबसूरत लिखा था वो गाना। बहुत ‘इंटरेस्टिंग’ था। आइटम सॉन्ग होते हुए भी उसमें कहीं अश्लीलता जैसा कुछ नहीं था। बहुत स्वीट गाना था। जब मैंने पूरा गाना सुना तब समझ आया कि कितना ‘इंटरेस्टिंग’ गाना है। उस गाने का संगीत भी कमाल का था। सब कुछ ‘हैंड इन ग्लव्स’ चल रहा था। उस गाने को गाते हुए बड़ा मजा आया। वो एक माइलस्टोन गाना था। बहुत सी माएं बाद में आकर मुझसे कहती थीं कि उनके बच्चे गिनती नहीं सीख रहे थे। उन्होंने इस गाने के जरिए गिनती सीखी। अगर हम गाना गाकर सिखाए तो वो खुशी से सीख लेते हैं। बहुत से बच्चों को उस गाने ने गिनती सीखा दी। ऐसा मुझे कई मांओ ने बोला। वो गाना निश्चित तौर पर ‘ट्रेंडसेटर’ था। मेरे जीवन का आज तक का सबसे मशहूर और ‘माइलस्टोन’ गाना है। इसी गाने के लिए मुझे पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था। हालांकि मैंने तब तक कभी ऐसा सोचा नहीं था कि मुझे ये अवॉर्ड मिलना चाहिए या वो मिलना चाहिए। जब कोई गाना मिलता था। उसको जी जान लगाकर गाती थी। ‘इन्जॉय’ करती थी। दिल से गाती थी। बाकि कभी इस डायरेक्शन में नहीं सोचा था कि मैं गाऊंगी तो मुझे इतना पैसा मिलेगा या ये अवॉर्ड मिल जाएगा। बस ये है कि मैंने जो काम दिल से किया वो लोगों को पसंद आया और अवॉर्ड मिला। बल्कि उसी वक्त दिसंबर 1989 में मेरी बेटी पैदा हुई थी। हम लोग चालीस दिन तक घर से बाहर नहीं निकलते। उसके बाद जब मैंने पहला कार्यक्रम अटेंड किया तो फिल्मफेयर नाइट ही था। जहां मुझे एक दो तीन गाने के लिए फिल्मफेयर अनाउंस किया गया। मेरे लिए तो ये डबल अवॉर्ड था। एक हाथ में मेरी बेटी थी और दूसरे हाथ में फिल्मफेयर अवॉर्ड था। मेरे लिए वो डबल डिलाइट था।